पूज्य गुरुवर निर्यापक श्रमण सुधासागर जी महाराज- गुरु वाणी
जो चेतना सम्पन्न है वह आत्मा है और जो कर्म से रहित है,वे सिद्ध है वह परमात्मा है।आत्मा और परमात्मा की बाते बताने की नही होती,क्योंकि वे अपना स्वरुप खुद बता देती है।इसी स्वरूप को पाने के लिए लोग जीवन भर भटकते रहते है, लेकिन ध्यान रखना जीवन मे कभी भी भटकने से भगवान नही मिलते है।भटकाव में भगवान मिलते नही फिर भी भटकने वाले लोग अपने को ज्ञानी कहते है।यह ज्ञान नही अज्ञान है।भगवान तो भक्ति व समर्पण से मिलते है।जब छोटे से जीव -जंतु में भी भगवान दिखने लगे तो समझ लेना उस दिन तुम्हे भगवान के दर्शन हो जाएंगे।मनुष्य की दृष्टि महान होना चाहिए, नही तो कण कण में भगवान नही दिखेंगे।प्राणी मात्र में आत्मा नही दिखेगी।।
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