भारत जब से इंडिया बना है तब से दुर्दशा हो रही है: मुनिश्री
करकबेल पंचकल्याणक महोत्सव |
पंचकल्याणक महोत्सव ज्ञान कल्याणक की क्रियाए हुई
करकबेल जिला नरसिंहपुर( मध्यप्रदेश) मे सर्व श्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि श्री धर्म सागर जी मुनि श्री अचल सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी महाराज,आर्यिका मृदुमती माताजी ,आर्यिका निर्णय मति माताजी के ससंघ सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य वाणी भूषण विनय भैया जी बंडा के निर्देशन में पंचकल्याणक महोत्सव चल रहा है।
यह कार्यक्रम सरकारी अस्पताल ग्राउंड करकबेल तह. गोटेगांव जिला नरसिंहपुर (म.प्र) में चल रहा है यह महोत्सव 19 नवंबर तक चलेगा इसमें 18 नवंबर को प्रातः अभिषेक शांतिधारा पूजन आदि हुए सभी ने नृत्य गान करके भक्ति की ।दोपहर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की क्रियाए हुई । रात्रि में नाटिका एवं आरती के कार्यक्रम चल रहे हैं इस कार्यक्रम में देशभर से श्रद्धालु आ रहे हैं। इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमलसागर जी ने कहा कि भाग्य और पुरुषार्थ दोनों को महत्व दिया जाता है। भाग्य के भरोसे मत जिओ पुरुषार्थ करो। वर्तमान का पुरुषार्थ भाग्य बन कर चमकेगा, धर्म पुरुषार्थ पूर्वक ही सभी पुरुषार्थ करना चाहिए। 8 घन्टे व्यापार आदि करना चाहिए 8 घण्टे धर्म करना चाहिए 8 घण्टे अन्य पुरुषार्थ करना चाहिए। प्रभु ने षट कर्मो का उपदेश दिया कि अपनी कलाओं का प्रदर्शन करना, पुरुष की 72 कलाएँ होती हैं। स्त्री की 64 कलाएँ होती हैं। भारत की रक्षा जो हो रही है, बॉर्डर पर सैनिक कर रहे हैं इसके कारण सभी शांति से बैठे हैं। सबसे पहले कहा है कृषि करो, जिससे फसल अच्छी आए और देश ,समाज ,परिवार का पालन हो। खेती-बाड़ी है भारत की मर्यादा, शिक्षा साड़ी है । आप का पहनावा भारतीय होना चाहिए। जबसे यह भारत, इण्डिया बना है तबसे दुर्दशा हो गई है। इण्डिया हटाओ भारत लाओ। यह भारत प्रतिभारत बने। भारत की बहुत सी प्रतिभाएँ विदेश जा रही हैं इसको रोकना चाहिए। भारत पहले सोने की चिड़िया थी अब वह उड़ना भूल गई है। भारत मे जब तक सन्त विचरण करते रहेंगे कोई भी बाल बाँका नही कर सकता। सात्विक व्यापार करें जिससे निंदा नही हो। अहिंसक वस्त्र हथकरघा के अपनाना चाहिये। सोए हुए भारत को जगाना है। पंचम काल के अंत तक धर्म चलता रहे,यह सोचना है। पशुओं का पालन होगा तो धर्म का पालन होगा जिससे दूध, घी, आदि पदार्थ शुद्ध प्राप्त होंगे। गौरस के माध्यम से अच्छा अतिथि सत्कार होता है। पशु धन भारत की रीढ़ है।
19नवंबर को ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई प्रातः 6 बजे अभिषेक शांतिधारा पूजन आरती फिर प्रातः काल श्री आदिनाथ जी की आहार चर्या हुई दोपहर मे मंत्र जाप भगवान की प्राण प्रतिष्ठा समोशरण की रचना हूई एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए । इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुये मुनि श्री विमल सागर जी ने ।
19 नवम्बर मंगलवार को प्रातः 6:30 पर मोक्ष गमन दोपहर मे 1 बजे गजरथ परिक्रमा होगी ।
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